पर सबकी रगों में अनुराग देश का नहीं होता लेते हैं जन्म हर युग में कुछ न कुछ जयचन्द। पर सबकी रगों में अनुराग देश का नहीं होता लेते हैं जन्म हर युग में कुछ न कुछ ज...
घर लौटने वाले बुद्ध का पता आपको ज्ञात है धवल केश सब जानते हैं। घर लौटने वाले बुद्ध का पता आपको ज्ञात है धवल केश सब जानते हैं।
कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास
गहे तुम्हारी शरण जो, करते उसे निहाल। गहे तुम्हारी शरण जो, करते उसे निहाल।
आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा। आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा।
जीवन जिसका ब्रह्म आचरण, धर्म युद्ध का वो "ब्राह्मण"। जीवन जिसका ब्रह्म आचरण, धर्म युद्ध का वो "ब्राह्मण"।